तहरीक-ए तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) पाकिस्तान और अफगानिस्तान में मौजूद आतंकवादी संगठन है, जिसका गठन 2007 में हुआ था। टीटीपी का लक्ष्य खैबर पख्तूनवा प्रांत (पहले संघशासित जनजातीय इलाका कहलाता था) से पाकिस्तानी सरकार का नियंत्रण खत्म करना और यहाँ आतंक के जरिए शरिया कानून लागू करना चाहता है। टीटीपी अल-कायदा (एक्यू) से वैचारिक दिशानिर्देश प्राप्त करता है, जबकि एक्यू के आतंकी अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा के इर्द-गिर्द टीटीपी की सक्रियता वाले इलाके को अपने छिपने के लिए सबसे सुरक्षित जगह मानते हैं। यह व्यवस्था टीटीपी को एक्यू के वैश्विक आतंकी नेटवर्क और इसके सदस्यों की आतंकी विशेषज्ञता, दोनों की पहुँच उपलब्ध कराती है।
टीटीपी ने पाकिस्तानी और अमेरिकी हितों को नुकसान पहुँचाने वाली कई आतंकी गतिविधियों को अंजाम दिया और इनकी जिम्मेदारी ली है, जिसमें दिसंबर 2009 में अफगानिस्तान के खोस्त में अमेरिकी सैन्य अड्डे पर हुआ आत्मघाती हमला भी शामिल है, जिसमें सात अमेरिकी नागरिकों की जानें गई थी और अप्रैल 2010 में पेशावर, पाकिस्तान के अमेरिकी कॉन्सुलेट पर हुआ आतंकी विस्फोट भी, जिसमें 6 पाकिस्तानी नागरिक मारे गए थे। टीटीपी पर 2007 में पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या में संलिप्तता का भी संदेह है। टीटीपी ने 1 मई 2010 को फैजल शहजाद को न्यू यॉर्क के टाइम स्क्वेयर में विस्फोटक डिवाइस लगाकर उड़ाने के विफल प्रयास में मदद मुहैया कराई थी।
1 सितंबर 2010 को अमेरिकी राज्य विभाग ने टीटीपी को संशोधित प्रवास और राष्ट्रीयता अधिनियम के अनुच्छेद 219 के तहत विदेशी आतंकवादी संगठन और संशोधित कार्यकारी आदेश 13224 के अनुसार विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी संगठन करार दिया। इसके परिणामस्वरूप, टीटीपी की सारी संपत्ति और संपत्ति से संबंधित हितों जो अमेरिकी न्यायाधिकार में आते हैं उन्हें अवरोधित कर दिया गया है, और अमेरिकी लोगों को सामान्य रूप से टीटीपी के साथ किसी भी प्रकार के लेन—देन में शामिल होने से निषिद्ध किया गया है । इसके अलावा, टीटीपी को जानबूझकर सामग्री सहायता या संसाधन प्रदान करना, या प्रदान करने का प्रयास करना या साजिश करना एक अपराध है।